ट्रंप बोले: मोदी ने रूसी तेल की खरीद रोकने का वादा किया — भारत-अमेरिका संबंधों में नया मोड़

Trump Modi Russian Oil Deal को लेकर दुनिया भर में चर्चा तेज हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने दावा किया है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रूसी तेल की खरीद (Russian Oil Imports) को रोकने का वादा किया है। यह बयान भारत-अमेरिका के ऊर्जा संबंधों में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है।

Trump Modi Russian Oil Deal — US President Donald Trump and Indian PM Narendra Modi discussing energy trade and Russian oil import ban during October 2025 meeting.

Trump Modi Russian Oil Deal वैश्विक राजनीति में बड़ा बयान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक अहम बयान देते हुए कहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने रूसी तेल (Russian Oil) की खरीद को रोकने का वादा किया है। यह बयान अमेरिका और भारत के बीच चल रही ऊर्जा एवं व्यापार कूटनीति (Energy Diplomacy) में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।

ट्रंप ने दावा किया कि मोदी ने उनसे सीधी बातचीत में यह आश्वासन दिया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा, हालांकि यह प्रक्रिया तुरंत नहीं बल्कि चरणबद्ध तरीके से होगी।

“यह तुरंत नहीं रुक सकता, लेकिन प्रक्रिया जल्द पूरी हो जाएगी,” ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा।


🔶 अमेरिका-भारत संबंधों की पृष्ठभूमि

अमेरिका और भारत के बीच पिछले कुछ महीनों से संबंध तनावपूर्ण बने हुए थे।
ट्रंप प्रशासन ने भारत से आने वाले उत्पादों पर 50% टैरिफ (Tariff) लगाया था, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस से तेल खरीदने की सजा के रूप में बताया था।

इसके अलावा, H-1B वीज़ा (H-1B Visa) के नए आवेदन पर $100,000 फीस लगाने का फैसला भी संबंधों में तनाव का कारण बना।
यह वीज़ा मुख्य रूप से भारतीय टेक पेशेवरों के लिए अहम माना जाता है।


🔷 भारत की अब तक की नीति: “जो हमारे हित में है, वही करेंगे”

भारत लंबे समय से अपनी ऊर्जा नीति को आर्थिक व्यावहारिकता (Economic Viability) के आधार पर तय करता रहा है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सितंबर में कहा था —

“भारत वही खरीदेगा जो उसके हित में होगा, चाहे वह रूस से तेल हो या किसी और देश से।”

इसी तरह इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) के डायरेक्टर अनुज जैन ने भी कहा था कि कंपनी तेल की खरीद ‘आर्थिक स्थिति’ पर निर्भर करेगी, क्योंकि रूसी तेल सामान्यतया छूट (Discount) पर उपलब्ध होता है।


🔶 ट्रंप का बयान: “अब चीन को भी यही करना होगा”

ट्रंप ने कहा —

“मैं खुश नहीं था कि भारत रूस से तेल खरीद रहा था। लेकिन मोदी ने मुझे आश्वासन दिया कि अब भारत ऐसा नहीं करेगा। यह बहुत बड़ा कदम है। अब मुझे चीन को भी यही करने के लिए तैयार करना होगा।”

इस बयान से साफ है कि ट्रंप प्रशासन अब रूस की आर्थिक ताकत को सीमित करने के लिए अपने सहयोगी देशों पर दबाव बढ़ा रहा है।


🔷 ऊर्जा बाजार पर असर

ट्रंप के बयान के तुरंत बाद वैश्विक कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
रिपोर्ट्स के अनुसार, गुरुवार को Benchmark Crude Prices में लगभग 0.96% की वृद्धि हुई।

भारत के लिए यह फैसला ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा बदलाव होगा, क्योंकि रूस अब तक भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता (Largest Crude Supplier) बन चुका था।


🔶 भारत का संभावित विकल्प: अमेरिकी तेल खरीद

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब अमेरिका से तेल आयात बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
नई दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —

“भारत अमेरिकी तेल खरीदने के लिए तैयार है, यदि कीमतें प्रतिस्पर्धी हों।”

इसके अलावा, भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार में कुछ रियायतें देने का भी प्रस्ताव रखा है, जैसे —

  • अमेरिकी ऑटो पार्ट्स और स्टील पर शून्य टैरिफ (Zero Tariff) लागू करना,
  • बदले में अमेरिका से समान छूट की अपेक्षा रखना।

🔷 रूसी तेल पर निर्भरता: आँकड़ों में स्थिति

हाल के महीनों में भारतीय तेल आयात में रूसी हिस्सेदारी थोड़ी घटी है, लेकिन अब भी यह कुल आयात का एक-तिहाई हिस्सा है।
युद्ध के बाद रूस ने भारत को सस्ती दरों (Discounted Oil) पर कच्चा तेल बेचना शुरू किया था, जिससे भारत को आर्थिक रूप से बड़ा लाभ मिला।

परंतु अब अमेरिकी दबाव और ट्रंप-मोदी की बातचीत के बाद यह समीकरण बदल सकता है।


🔶 व्यापार वार्ता और कूटनीतिक संकेत

हाल ही में दोनों देशों के नेताओं ने व्यापार वार्ता पर चर्चा की थी, जिसके बाद मोदी ने कहा था कि “अच्छी प्रगति” हुई है।
ट्रंप ने मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें “Great Man” बताया और कहा कि उनके बीच “Great Relationship” है।

यह बयान दर्शाता है कि दोनों नेता अब व्यापार और ऊर्जा दोनों मोर्चों पर संतुलन (Balance) बनाने की कोशिश कर रहे हैं।


🔷 OPEC की भूमिका और वैश्विक आपूर्ति

ट्रंप के इस निर्णय को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि OPEC देशों द्वारा उत्पादन बढ़ाने से अमेरिका को राहत मिली है।
इससे वैश्विक बाजार में तेल की आपूर्ति बनी हुई है, भले ही रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का असर जारी हो।

ट्रंप की प्राथमिकता स्पष्ट है —
“सस्ता तेल और स्थिर वैश्विक आपूर्ति।”
उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका रिकॉर्ड स्तर पर उत्पादन कर रहा है, जिससे बाजार पर दबाव कम हुआ है।


🔶 भू-राजनीतिक प्रभाव: रूस पर दबाव, भारत पर चुनौती

भारत के इस निर्णय से रूस पर आर्थिक दबाव और बढ़ सकता है, क्योंकि भारत उसके सबसे बड़े ग्राहकों में से एक है।
वहीं, भारत के सामने ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) और कूटनीतिक संतुलन (Diplomatic Balance) बनाए रखने की चुनौती रहेगी।

रूस से सस्ते तेल की आपूर्ति खत्म होने पर भारत को अमेरिकी या मध्य पूर्वी बाजारों से महंगा तेल लेना पड़ सकता है।


🔷 निष्कर्ष: “नई शुरुआत या रणनीतिक दबाव?”

ट्रंप और मोदी की बातचीत ने वैश्विक राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है।
अगर भारत वास्तव में रूसी तेल की खरीद रोकता है, तो यह केवल व्यापारिक नहीं बल्कि रणनीतिक बदलाव (Strategic Shift) होगा।

यह कदम भारत को अमेरिका के और करीब ला सकता है, लेकिन साथ ही रूस के साथ वर्षों पुराने संबंधों पर असर डाल सकता है।

आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस “तेल कूटनीति” में स्वतंत्र नीति (Independent Policy) बनाए रख पाता है या नहीं।


🔸 निष्कर्ष के मुख्य बिंदु (Summary Takeaways)

  • ट्रंप ने दावा किया कि मोदी ने रूसी तेल की खरीद रोकने का वादा किया।
  • भारत ने संकेत दिया है कि वह अमेरिकी तेल खरीद सकता है।
  • इस बयान के बाद वैश्विक तेल बाजार में कीमतें बढ़ीं।
  • यह फैसला भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में नई दिशा दे सकता है।
  • रूस-भारत संबंधों पर संभावित असर देखा जा सकता है।