
केरल में प्रसिद्ध सबरीमला अयप्पा मंदिर एक बार फिर विवादों के केंद्र में है। इस बार मामला धार्मिक नहीं, बल्कि मंदिर की सोने से मढ़ी मूर्तियों और तांबे की कलाकृतियों की कथित चोरी से जुड़ा है। केरल हाईकोर्ट द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने इस मामले में मुख्य आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी को शुक्रवार (17 अक्टूबर 2025) की सुबह गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई जब विपक्ष सरकार पर इस्तीफे के दबाव को लेकर आंदोलन तेज कर रहा था।
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🔹 जांच की पृष्ठभूमि
इस पूरे Sabarimala gold theft case की शुरुआत तब हुई जब मंदिर से सोने की परत वाली कुछ तांबे की नक्काशियों और मूर्तियों के गायब होने की खबर सामने आई। जांच में सामने आया कि इन कलाकृतियों को 1998 में उद्योगपति विजय माल्या ने मंदिर को भेंट किया था। बाद में इन्हें पुनर्स्थापन और इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए तांबे-सोने के शिल्पकारों की एक निजी फर्म को सौंपा गया।
लेकिन मंदिर मैनुअल के अनुसार, इस तरह के धार्मिक आभूषणों को किसी निजी व्यक्ति को सौंपना नियमों का उल्लंघन था। यहीं से पूरे Sabarimala gold theft case ने नया मोड़ ले लिया।
🔹 आरोपी उन्नीकृष्णन पोट्टी की भूमिका
उन्नीकृष्णन पोट्टी, जो 2010 के दशक की शुरुआत में त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TDB) द्वारा नियुक्त एक पुजारी के सहायक के रूप में काम करते थे, इस जांच के केंद्र में तब आए जब उन्होंने सितंबर 2025 में यह दावा किया कि उन्होंने 2019 में मंदिर को जो दो तांबे-सोने की परतें दान की थीं, वे अब गायब हैं।
उनके इस खुलासे के बाद मामला और गंभीर हो गया। SIT ने पोट्टी को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन कुछ घंटों तक उनका लोकेशन अज्ञात रहा। बाद में उन्हें तिरुवनंतपुरम के जनरल हॉस्पिटल ले जाकर मेडिकल जांच के बाद औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया।
🔹 राजनीतिक तूफान और विपक्ष का दबाव
पोट्टी की गिरफ्तारी ने केरल की राजनीति में भूचाल ला दिया है। विपक्षी दलों ने इसे सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया।
यूथ मोर्चा और कांग्रेस के नेताओं ने देवस्वम मंत्री वी. एन. वासवन और TDB अध्यक्ष पी. एस. प्रसंथ से इस्तीफे की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किए।
कुछ स्थानों पर युवा मोर्चा का प्रदर्शन हिंसक भी हो गया, जिससे प्रशासन को अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने पड़े।
🔹 हाईकोर्ट का हस्तक्षेप और SIT का गठन
इस विवाद के बढ़ते दबाव के बीच, केरल हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जो सबरीमला मामलों की निगरानी करती है, ने TDB की सतर्कता शाखा को प्रारंभिक जांच का आदेश दिया।
जांच में पाया गया कि गायब हुई सोने की प्लेटें पोट्टी की बहन के घर से बरामद हुईं। यह खुलासा चौंकाने वाला था क्योंकि इससे यह स्पष्ट हुआ कि मंदिर से निकले धार्मिक आभूषण घरों और निजी जगहों पर रखे गए थे, जो न केवल धार्मिक परंपरा का उल्लंघन था बल्कि एक गंभीर अपराध भी।
🔹 “प्राइवेट पूजा” का खुलासा
SIT की रिपोर्ट के अनुसार, सबरीमला के सोने-तांबे के आवरण बहाल करने के बहाने चेन्नई के एक कारखाने भेजे गए थे, लेकिन वे 39 दिन तक रास्ते में भटकते रहे।
इस दौरान ये कलाकृतियाँ बेंगलुरु और हैदराबाद होते हुए विभिन्न फिल्म सितारों और सेलिब्रिटीज के घरों में “निजी पूजा” के लिए रखी गईं।
यह खुलासा बेहद संवेदनशील है, क्योंकि इससे यह संदेह और गहरा हुआ कि कहीं मूल सोने की परतों की नक़ल तैयार कर उन्हें किसी निजी कलेक्टर को बेच तो नहीं दिया गया।
🔹 नियमों का उल्लंघन और प्रशासनिक लापरवाही
हाईकोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने मंदिर मैनुअल का खुला उल्लंघन किया।
उन्होंने मंदिर की धातु कला और धार्मिक वस्तुएँ एक निजी व्यक्ति (उन्नीकृष्णन पोट्टी) को सौंप दीं, जिनका पिछला रिकॉर्ड संदिग्ध बताया गया है।
जांच में यह भी पाया गया कि जिन कलाकृतियों को कॉपर (तांबे) के रूप में रजिस्टर किया गया था, वे वास्तव में गोल्ड प्लेटेड (सोने की परत चढ़ी हुई) थीं।
इससे यह संकेत मिला कि रिकॉर्ड को जानबूझकर बदलकर मूल्यवान वस्तुओं को छिपाने या बेचने की योजना बनाई गई थी।
🔹 अंतरराज्यीय जांच और अन्य आरोपित
SIT ने अब तक सात पूर्व और वर्तमान TDB अधिकारियों को आरोपी के रूप में नामित किया है।
जांच टीम ने यह भी पाया कि इन कलाकृतियों की आवाजाही केरल से चेन्नई, और फिर बेंगलुरु व हैदराबाद तक हुई थी।
टीम अब पोट्टी के 2019 के मोबाइल रिकॉर्ड्स और लोकेशन डाटा की जांच कर रही है ताकि पूरे रास्ते का डिजिटल ट्रैक तैयार किया जा सके।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, SIT जल्द ही पोट्टी को पठानमथिट्टा जिले के रानी मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश कर कस्टडी रिमांड की मांग करेगी ताकि पूछताछ गहराई से की जा सके।
🔹 देवस्वम बोर्ड पर बढ़ता दबाव
इस Sabarimala gold theft case ने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
धार्मिक संगठनों और भक्तों का कहना है कि मंदिर संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही अयप्पा भक्तों की भावनाओं के साथ विश्वासघात है।
भक्तों का यह भी आरोप है कि सरकार और देवस्वम बोर्ड ग्लोबल अयप्पा संगमम जैसे आयोजनों में व्यस्त हैं, जबकि मंदिर की पवित्रता और पारदर्शिता पर कोई ध्यान नहीं दे रहे।
🔹 “स्टार्टलिंग रिवेलेशन” और मीडिया की भूमिका
पोट्टी की गिरफ्तारी के बाद मीडिया में यह खबर “स्टार्टलिंग रिवेलेशन” के रूप में उभरी।
इससे न केवल राज्य सरकार बल्कि देवस्वम बोर्ड के लिए भी जनता का विश्वास बहाल करना मुश्किल हो गया है।
कई वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि यह सिर्फ चोरी का मामला नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वासों की रक्षा की परीक्षा है।
🔹 जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर #SabarimalaGoldTheftCase ट्रेंड कर रहा है।
भक्तों ने सरकार से मांग की है कि इस मामले की CBI जांच कराई जाए ताकि राजनीतिक प्रभाव से मुक्त निष्पक्ष कार्रवाई सुनिश्चित हो सके।
कांग्रेस सांसद कोडिकुन्निल सुरेश ने भी सार्वजनिक रूप से कहा कि “CBI जांच आवश्यक है क्योंकि SIT पर सरकार का प्रभाव हो सकता है।”
🔹 जांच का आगे का रास्ता
SIT ने अब तक दो FIR दर्ज की हैं और जांच को बहु-राज्यीय स्तर पर विस्तार दिया है।
टीम यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या गोल्ड प्लेटेड मूल पैनल्स की प्रतिलिपि बनाई गई और मूल वस्तुएं निजी पूजा या संग्रह के लिए बेची गईं।
जांच अभी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन अब तक के तथ्यों से यह स्पष्ट होता है कि यह मामला सिर्फ चोरी का नहीं, बल्कि धार्मिक संपत्ति के दुरुपयोग और प्रशासनिक भ्रष्टाचार का संगीन उदाहरण है।
🔹 निष्कर्ष
Sabarimala gold theft case ने यह दिखा दिया है कि जब धार्मिक संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी होती है, तो आस्था भी खतरे में पड़ जाती है।
भक्तों की भावनाएँ, मंदिर की प्रतिष्ठा और प्रशासनिक विश्वसनीयता — तीनों इस घटना से हिल गई हैं।
अब पूरा देश इस बात पर नजर रखे हुए है कि SIT और न्यायपालिका इस धार्मिक चोरी के मामले में कितनी सख्ती और निष्पक्षता से न्याय दिलाती है।




