Trump India Policy and Modi Response have recently taken a significant turn as US President Donald Trump softened his stance towards India after imposing heavy trade tariffs. The tariffs, particularly the additional 25% on Russian oil imports, did not achieve the desired results. Former Indian diplomat KP Fabian highlights that Trump is realizing India will not surrender to pressure, signaling a shift in US-India relations.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में भारत के प्रति अपने रुख में स्पष्ट नरमी दिखाई है। पिछले कुछ महीनों से अमेरिका ने भारत पर भारी व्यापार टैरिफ लगाए थे, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं हुआ। पूर्व भारतीय राजनयिक के.पी. फेबियन के अनुसार, ट्रम्प अब समझने लगे हैं कि भारत किसी दबाव में नहीं आएगा और अपनी स्वतंत्र नीति पर कायम रहेगा।
इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि ट्रम्प की नीति में यह बदलाव क्यों आया, भारत की प्रतिक्रिया क्या रही, और भविष्य में दोनों देशों के संबंध किस दिशा में जा सकते हैं।
India US Relations 2025: PM Modi Fully Reciprocates Trump’s Sentiments Amid Diplomatic Tensions
ट्रम्प का ‘ट्रिपल-टी’ टैरिफ और उसका असफल होना
अमेरिका ने भारत से आयातित वस्तुओं पर कुल 50% टैरिफ लगा रखा था, जिसमें से 25% अतिरिक्त टैरिफ रूस से तेल आयात के कारण लगाया गया। इसे पूर्व राजनयिक के.पी. फेबियन ने ‘ट्रम्प-अप ट्रम्प टैरिफ’ कहा। उनका कहना है कि यह टैरिफ बिना किसी ठोस आधार के लगाए गए थे और भारत पर दबाव डालने का प्रयास था।
फेबियन ने कहा:
“ट्रंप अब समझने लगे हैं कि उनकी यह नीति किसी खास परिणाम में नहीं बदली। भारत किसी भी दबाव में नहीं आएगा और अपनी स्वतंत्र नीति पर कायम रहेगा।”
इससे यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिका की कूटनीतिक चालों ने भारत को कमजोर नहीं किया, बल्कि भारत अपनी नीति में दृढ़ रहा।Trump India Policy and Modi Response
पीएम मोदी की प्रतिक्रिया: दोस्ताना और संतुलित
जब ट्रम्प ने कहा कि वे और पीएम मोदी हमेशा मित्र रहेंगे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
“हम अमेरिका के राष्ट्रपति के इस सकारात्मक रुख की गहराई से सराहना करते हैं। भारत और अमेरिका के संबंध एक बहुत सकारात्मक और भविष्य की ओर देखने वाली रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं।”
यह बयान दर्शाता है कि भारत ने कूटनीतिक तरीके से अपनी स्थिति मजबूत की और दोस्ताना टोन बनाए रखा।Trump India Policy and Modi Response
भारत की स्वतंत्र नीति: कोई दबाव स्वीकार नहीं
के.पी. फेबियन के अनुसार, भारत एक सभ्यतागत राज्य है। इसका मतलब यह है कि भारत सभी देशों से मित्रता चाहता है, लेकिन किसी से भी निर्देश स्वीकार नहीं करता।
फेबियन कहते हैं:
“भारत को किसी से निर्देश नहीं लेना है। हमारा देश अपनी स्वतंत्र नीति पर कायम रहेगा।”
पूर्व राजनयिक जावेद अशरफ भी इस बात से सहमत हैं। उनका कहना है कि भारत को यह सोच बदलनी होगी कि वह किसी वैश्विक शक्ति के कैम्प में शामिल हो। भारत एक मजबूत और स्वतंत्र देश है, और उसे किसी पर निर्भर होने की आवश्यकता नहीं है।Trump India Policy and Modi Response
भारत-अमेरिका संबंधों की विशेषता
भारत और अमेरिका के संबंध अब केवल व्यापार या सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं हैं। यह वैश्विक रणनीतिक साझेदारी बन गई है।
कुछ मुख्य बिंदु जो इस साझेदारी को मजबूत बनाते हैं:
- व्यापार और निवेश: भारत अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है।
- सुरक्षा और कूटनीति: दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर साझेदारी है।
- तकनीक और नवाचार: अमेरिका में भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स की महत्वपूर्ण भूमिका है।
- सांस्कृतिक और मानव संसाधन: दोनों देशों में छात्र और पेशेवर स्तर पर मजबूत आदान-प्रदान है।
यह साझेदारी केवल व्यापारिक लाभ तक सीमित नहीं, बल्कि राजनीतिक और वैश्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
भविष्य की दिशा: व्यापारिक टैरिफ और सौदे
हालांकि ट्रम्प ने नरमी दिखाई है, वर्तमान में टैरिफ 50% पर बने हुए हैं, और व्यापार समझौते की बातचीत अभी भी लंबित है।
भारत ने स्पष्ट किया है कि कृषि और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में अमेरिकी कंपनियों के प्रवेश के लिए लाल रेखाएँ हैं। इसका मतलब यह है कि भारत केवल सौदेबाजी के लिए नहीं, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए तैयार है।
Trump India Policy and Modi Response
ट्रम्प की नीति में यह बदलाव दर्शाता है कि भारत किसी भी दबाव में नहीं आएगा। प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिक कुशलता और भारत की स्थिर नीति ने अमेरिका को यह समझने पर मजबूर किया है कि भारत की स्वतंत्रता और निर्णय क्षमता पर समझौता नहीं होगा।
भारत-अमेरिका संबंध अब एक मजबूत और संतुलित रणनीतिक साझेदारी बन चुके हैं, जो व्यापार, सुरक्षा और वैश्विक दृष्टिकोण से दोनों देशों के लिए लाभकारी है।
इस तरह के मजबूत कूटनीतिक कदम दिखाते हैं कि भारत एक सभ्यतागत और मजबूत राष्ट्र है, जो केवल मित्रता चाहता है लेकिन किसी के दबाव में नहीं आता।