Atal Bihari Vajpayee Biography begins with an inspiring journey of a poet, orator, and India’s most respected Prime Minister. His life story reflects leadership, courage, and service to the nation.

भारत की राजनीति में कई ऐसे नेता हुए जिन्होंने अपनी वाणी, व्यक्तित्व और दूरदर्शिता से न केवल एक पार्टी बल्कि पूरे राष्ट्र की दिशा बदल दी। ऐसे ही एक महान व्यक्तित्व थे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी। वे केवल एक राजनेता ही नहीं बल्कि कवि, पत्रकार, वक्ता और देशभक्त भी थे।
उनकी राजनीति की शैली ने भारत में लोकतंत्र को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। उनकी ओजस्वी वाणी संसद से लेकर आम जन तक गूँजती रही और आज भी उनके भाषण प्रेरणा का स्रोत हैं।
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Atal Bihari Vajpayee Biography
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म और परिवार
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ।
उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था।
पिता एक कवि और शिक्षक थे जबकि माता धार्मिक और संस्कारी स्वभाव की थीं।
अटल जी के परिवार में कुल सात भाई-बहन थे और बचपन से ही वे एक मेधावी छात्र और सुसंस्कृत बालक के रूप में जाने जाते थे।
उनका घर साधारण था लेकिन वातावरण साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत था। यही कारण था कि अटल जी को बचपन से ही हिंदी साहित्य, कविता और राजनीति में गहरी रुचि थी।
According to the Official PM India Website – Atal Bihari Vajpayee, he served as the Prime Minister of India three times and left a lasting impact on Indian politics.”
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
अटल बिहारी वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर और बाद में विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) से हुई।
उन्होंने राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर (M.A.) की डिग्री प्राप्त की और कानून (LLB) की पढ़ाई भी शुरू की, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में जुड़ने के कारण वे उसे पूरा नहीं कर पाए।
छात्र जीवन से ही अटल जी वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे। उनकी प्रभावशाली वाणी ने उन्हें एक श्रेष्ठ वक्ता के रूप में पहचान दिलाई।
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ाव
अटल बिहारी वाजपेयी का छात्र जीवन उस दौर में बीता जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था।
वे 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े। हालांकि उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई, लेकिन इस आंदोलन ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
यही वह समय था जब अटल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े।
RSS की अनुशासन, राष्ट्रवाद और संगठन की भावना ने उनके व्यक्तित्व को गढ़ा।
पत्रकारिता और साहित्यिक जीवन
राजनीति में सक्रिय होने से पहले अटल जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी काम किया।
उन्होंने राष्ट्रीय सहारा, पांचजन्य और राष्ट्रधर्म जैसे पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।
उनकी लेखनी में साहित्य और राजनीति का अनोखा संगम देखने को मिलता था।
उनकी कविताएँ जैसे – “हारे नहीं हैं हार नहीं मानेंगे”, “क्या खोया क्या पाया” आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं।
राजनीति में पहला कदम
अटल जी की राजनीति की शुरुआत भारतीय जनसंघ से हुई।
1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जब जनसंघ की स्थापना की, तब अटल बिहारी वाजपेयी उनकी टीम में शामिल हुए।
1957 के लोकसभा चुनाव में वे पहली बार बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) से सांसद चुने गए।
यहीं से उनकी पहचान एक तेज-तर्रार, ओजस्वी और जनप्रिय नेता के रूप में बनने लगी।
नेहरू जैसे बड़े नेता भी उनकी वाणी और प्रतिभा की सराहना करते थे।
संसद में पहचान
1957 से लेकर 1977 तक अटल बिहारी वाजपेयी लगातार संसद में सक्रिय रहे।
उनकी खासियत यह थी कि वे विरोधी दल के नेता होते हुए भी सबका सम्मान पाते थे।
उनकी वाणी इतनी प्रभावशाली थी कि पंडित नेहरू ने भी कहा था –
👉 “यह युवा नेता एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनेगा।”
आपातकाल और लोकतंत्र की रक्षा
1975 में इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी को भी जेल जाना पड़ा।
लेकिन इस संघर्ष ने उन्हें पूरे भारत में एक लोकतांत्रिक योद्धा की पहचान दिलाई।
आपातकाल खत्म होने के बाद 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो अटल जी विदेश मंत्री बनाए गए।
उनकी कूटनीति ने दुनिया भर में भारत की छवि को मजबूत किया। खासकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनका हिंदी में दिया गया भाषण ऐतिहासिक माना जाता है।
भाजपा की स्थापना
1980 में जब जनता पार्टी टूटी, तब अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना की।
अटल जी इसके पहले अध्यक्ष बने और उनकी संयमित व संतुलित नेतृत्व शैली ने पार्टी को मजबूती दी।
Atal Bihari Vajpayee Biography
अटल बिहारी वाजपेयी का परिचय
भारत की राजनीति के इतिहास में यदि किसी नेता को सबसे संतुलित, दूरदर्शी, लोकप्रिय और करिश्माई नेता के रूप में याद किया जाता है तो उनमें अटल बिहारी वाजपेयी का नाम सबसे ऊपर आता है। वे केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि कवि, लेखक, विचारक और एक महान वक्ता भी थे। अपने मृदुभाषी स्वभाव, ओजस्वी वक्तृत्व कला और सर्वसमावेशी दृष्टिकोण के कारण वे सभी राजनीतिक दलों और वर्गों के बीच समान रूप से सम्मानित हुए।
वाजपेयी भारतीय राजनीति में ऐसे नेता थे जिन्होंने न केवल जनसंघ और भाजपा को खड़ा किया, बल्कि तीन बार भारत के प्रधानमंत्री भी बने। 1999 से 2004 तक का उनका कार्यकाल विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, जब भारत ने आर्थिक सुधारों, परमाणु परीक्षणों, विदेश नीति, और बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ छुईं।
उनकी छवि एक सर्वस्वीकार्य नेता की थी। विपक्षी दलों तक ने उनके कामकाज और भाषणों की तारीफ की। यही कारण था कि 2015 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” प्रदान किया गया।
Atal Bihari Vajpayee Biography
जन्म और परिवारिक पृष्ठभूमि
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर (मध्य प्रदेश) में हुआ था। उनका जन्म एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी था, जो ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (आज का लक्ष्मीबाई कॉलेज) में हिंदी और संस्कृत के शिक्षक थे। उनकी माता का नाम कृष्णा देवी था।
वाजपेयी अपने परिवार में सात भाई-बहनों में से एक थे। बचपन से ही उनमें पढ़ाई, लेखन और भाषण कला के प्रति गहरी रुचि थी। उनके पिता संस्कृत के विद्वान थे और माँ धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। इस पारिवारिक वातावरण ने वाजपेयी जी के व्यक्तित्व को गढ़ने में बड़ी भूमिका निभाई।
शिक्षा और विद्यार्थी जीवन
अटल जी की प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के स्थानीय विद्यालयों से हुई। उन्होंने ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर से शिक्षा शुरू की और बाद में ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातक की पढ़ाई की। वहाँ से उन्होंने अंग्रेज़ी, हिंदी और संस्कृत विषयों में गहरी पकड़ बनाई।
इसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए कानपुर गए और डी.ए.वी. कॉलेज, कानपुर से राजनीति शास्त्र में परास्नातक (M.A.) की डिग्री प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। विद्यार्थी जीवन के दौरान ही वे अपनी कविता लेखन और वक्तृत्व कला के लिए प्रसिद्ध हो गए थे।
उनकी कविताएँ देशभक्ति और मानवीय संवेदनाओं से भरी होती थीं। विद्यार्थी काल में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े। यह जुड़ाव आगे चलकर उनके जीवन और राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हुआ।
राजनीति में प्रवेश और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव
अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीति में प्रवेश सीधे तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के माध्यम से हुआ। उन्होंने अपने कॉलेज जीवन में ही संघ की शाखाओं में भाग लेना शुरू कर दिया था। 1939 में वे औपचारिक रूप से RSS के सदस्य बने।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने भाग लिया, हालांकि महात्मा गांधी की अहिंसा की नीति को मानते हुए भी वे बाद में संघ की विचारधारा की ओर अधिक आकर्षित हुए।
स्वतंत्रता के बाद, 1947 में उन्होंने संघ प्रचारक के रूप में काम करना शुरू किया। यहीं से उनकी वक्तृत्व कला निखरी और वे जनता के बीच लोकप्रिय होने लगे।
भारतीय जनसंघ से जुड़ाव
1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद, 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ (BJS) की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी और उनके साथी लालकृष्ण आडवाणी इस नए राजनीतिक दल के प्रमुख सदस्य बने।
1957 के आम चुनाव में वाजपेयी पहली बार बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा के लिए चुने गए। संसद में उनके भाषण इतने प्रभावशाली होते थे कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी उनकी प्रशंसा की थी और कहा था –
👉 “यह युवा संसद में भविष्य में एक दिन प्रधानमंत्री बनेगा।”
अटल बिहारी वाजपेयी: जनसंघ से प्रधानमंत्री तक का सफर
भारतीय जनसंघ में अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका
1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ (Bharatiya Jana Sangh – BJS) की स्थापना की। अटल बिहारी वाजपेयी शुरुआत से ही इस दल के सक्रिय सदस्य रहे।
1953 में, जब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन हो गया, तो जनसंघ की बागडोर पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं ने संभाली।
1957 में अटल जी पहली बार बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) से लोकसभा सदस्य चुने गए। संसद में उनके जोशीले भाषणों ने सबको प्रभावित किया। धीरे-धीरे वे विपक्ष की राजनीति में सबसे लोकप्रिय चेहरा बन गए।
उनकी खासियत थी – वे कटाक्ष भी करते तो विनम्रता से करते, जिससे विपक्षी दल भी उनका सम्मान करते थे।
आपातकाल का दौर और अटल बिहारी वाजपेयी
1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल (Emergency) घोषित किया। इस दौरान विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया गया। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी भी गिरफ्तार हुए और लगभग 19 महीने जेल में रहे।
जेल में रहते हुए भी वाजपेयी जी ने जनता का मनोबल बनाए रखा। वे लोकतंत्र के प्रबल समर्थक थे और आपातकाल का विरोध करते हुए उन्होंने जनता पार्टी आंदोलन में हिस्सा लिया।
1977 में जब आपातकाल समाप्त हुआ और चुनाव हुए, तो जनसंघ ने जनता पार्टी में विलय कर लिया। जनता पार्टी की सरकार बनी जिसमें मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। इस सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया।
विदेश मंत्री के रूप में योगदान
विदेश मंत्री रहते हुए वाजपेयी जी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में हिंदी भाषा में भाषण दिया। यह पहला अवसर था जब विश्व मंच पर हिंदी गूंजी।
उनकी विदेश नीति संतुलन और स्पष्ट दृष्टिकोण से भरपूर थी। अमेरिका, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ उन्होंने भारत के संबंधों को नए आयाम दिए।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गठन
1979 में जनता पार्टी सरकार टूट गई। 1980 में वाजपेयी और आडवाणी ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना की।
वाजपेयी पार्टी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। शुरू में भाजपा ने “गांधीवादी समाजवाद” को अपनी विचारधारा बनाया, लेकिन बाद में पार्टी ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की दिशा अपनाई।
1984 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 2 सीटें मिलीं। यह पार्टी के लिए सबसे कठिन दौर था। लेकिन वाजपेयी ने हार नहीं मानी। उनके नेतृत्व और आडवाणी की रथयात्रा जैसे अभियानों से भाजपा धीरे-धीरे मजबूत हुई।
प्रधानमंत्री बनने का सफर
1996 – पहली बार प्रधानमंत्री
1996 के आम चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला।
लेकिन उनके पास बहुमत नहीं था, इसलिए उनकी सरकार सिर्फ 13 दिन ही चल पाई।
1998 – दूसरी बार प्रधानमंत्री
1998 के चुनाव में भाजपा ने एनडीए (National Democratic Alliance) बनाकर सरकार बनाई। इस बार वाजपेयी फिर प्रधानमंत्री बने।
इसी दौरान भारत ने पोखरण-II परमाणु परीक्षण किया (11 और 13 मई 1998)। यह भारत की ताकत का दुनिया के सामने ऐलान था। अमेरिका समेत कई देशों ने प्रतिबंध लगाए, लेकिन वाजपेयी ने मजबूती से इसका सामना किया।
हालांकि, 1999 में अन्नाद्रमुक (AIADMK) के समर्थन वापस लेने के कारण सरकार गिर गई और वाजपेयी की सरकार सिर्फ 13 महीने चल पाई।
1999 – तीसरी बार प्रधानमंत्री
1999 के चुनाव में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। वाजपेयी लगातार पाँच साल (1999–2004) प्रधानमंत्री रहे।
इसी दौरान कारगिल युद्ध (Kargil War 1999) हुआ, जिसमें भारत ने पाकिस्तान को हराया।
Atal Bihari Vajpayee Biography: प्रधानमंत्री कार्यकाल और उपलब्धियाँ
1999 से 2004 तक प्रधानमंत्री कार्यकाल
1999 के आम चुनावों में भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने बहुमत हासिल किया और अटल बिहारी वाजपेयी लगातार पाँच साल तक प्रधानमंत्री बने।
यह उनका सबसे स्थिर और प्रभावी कार्यकाल साबित हुआ।
कारगिल युद्ध (1999)
प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही महीनों बाद भारत को कारगिल युद्ध का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान ने घुसपैठ कर भारतीय क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की कोशिश की।
वाजपेयी सरकार ने भारतीय सेना को पूरी स्वतंत्रता दी।
भारतीय सैनिकों ने ऑपरेशन विजय चलाकर पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी और कारगिल से दुश्मनों को खदेड़ दिया।
कारगिल विजय ने वाजपेयी को एक मज़बूत और निर्णायक प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित किया।
आर्थिक सुधार और विकास योजनाएँ
अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए।
उनकी प्रमुख योजनाएँ थीं :
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) – ग्रामीण इलाकों में सड़कें बनाने की योजना।
- स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (Golden Quadrilateral Project) – दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को चारों ओर से जोड़ने वाला हाईवे नेटवर्क।
- दूरसंचार क्षेत्र में सुधार – टेलीकॉम सेक्टर को निजीकरण और प्रतिस्पर्धा के लिए खोलना।
- विदेशी निवेश (FDI) को प्रोत्साहन देना।
इन कदमों से भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ी और आईटी सेक्टर का विस्तार हुआ।
विदेश नीति और शांति प्रयास
वाजपेयी ने भारत की विदेश नीति को संतुलन और दृढ़ता के साथ आगे बढ़ाया।
- लाहौर बस यात्रा (1999) : उन्होंने पाकिस्तान जाकर प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ से मुलाकात की और शांति का संदेश दिया।
- कारगिल युद्ध के बावजूद उन्होंने हमेशा संवाद और शांति की कोशिश जारी रखी।
- अमेरिका, रूस, यूरोप और चीन जैसे बड़े देशों के साथ भारत के संबंध मज़बूत हुए।
- वे गुटनिरपेक्षता और स्वतंत्र विदेश नीति के पक्षधर रहे।
पोखरण और परमाणु नीति
हालाँकि पोखरण-II परीक्षण 1998 में हुआ था, लेकिन वाजपेयी ने अपने कार्यकाल में भारत की परमाणु नीति को स्पष्ट किया।
उन्होंने कहा – भारत पहले परमाणु हथियार का उपयोग नहीं करेगा, लेकिन यदि उस पर हमला हुआ तो जवाब ज़रूर देगा।
इससे भारत को विश्व मंच पर परमाणु शक्ति के रूप में पहचान मिली।
सामाजिक और राजनीतिक योगदान
वाजपेयी सरकार ने :
- शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के प्रयास किए।
- उत्तर-पूर्वी राज्यों के विकास के लिए विशेष योजनाएँ शुरू कीं।
- कश्मीर समस्या के समाधान के लिए “इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत” का सिद्धांत दिया।
2004 का चुनाव और विदाई
2004 के आम चुनावों में भाजपा ने “इंडिया शाइनिंग” अभियान चलाया, लेकिन चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए को बहुमत मिला।
इसके बाद वाजपेयी ने शांतिपूर्वक प्रधानमंत्री पद से विदाई ली।
उन्होंने राजनीति से धीरे-धीरे दूरी बना ली और सक्रिय जीवन से संन्यास ले लिया।
अटल बिहारी वाजपेयी: साहित्य, व्यक्तित्व और विरासत (Atal Bihari Vajpayee Biography)
साहित्यिक जीवन और कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी सिर्फ एक राजनेता ही नहीं, बल्कि कवि और साहित्यकार भी थे।
उनकी कविताओं में राष्ट्रभक्ति, संवेदनशीलता और मानवीय मूल्यों की झलक मिलती है।
उन्होंने कई प्रसिद्ध कविताएँ लिखीं, जिनमें देशभक्ति और जीवन-दर्शन प्रमुख विषय रहे।
उनके प्रमुख कविता-संग्रह :
- मेरी इक्यावन कविताएँ
- अमर बलिदान
- कैदी कवि की कविताएँ
उनकी आवाज़ और अंदाज़ में कविता-पाठ सुनना हमेशा लोगों के लिए प्रेरणादायक रहा।
Atal Bihari Vajpayee Biography
व्यक्तित्व और नेतृत्व शैली
अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी ओजस्वी वाणी और संतुलित नेतृत्व के लिए याद किया जाता है।
उनके व्यक्तित्व की खास बातें :
- विपक्ष में रहते हुए भी सबका सम्मान करना।
- राजनीति में शुचिता और आदर्शों का पालन करना।
- अपने विरोधियों से भी व्यक्तिगत संबंध अच्छे रखना।
- उनकी हास्य-प्रियता और विनम्रता उन्हें अलग बनाती थी।
वे भारतीय राजनीति में “अटल जी” के नाम से ही लोकप्रिय हो गए थे।
राजनीति से संन्यास और स्वास्थ्य
2004 के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली।
2009 के बाद उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता गया और वे सार्वजनिक जीवन से लगभग पूरी तरह अलग हो गए।
उनकी देखभाल दिल्ली स्थित AIIMS और निजी निवास पर की जाती रही।
निधन और राष्ट्र का शोक
16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया।
उनके निधन पर पूरे देश ने गहरा शोक व्यक्त किया।
भारत सरकार ने राजकीय अवकाश घोषित किया और उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
हज़ारों लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए और पूरा देश “भारत माता के सच्चे सपूत” को विदा करने उमड़ पड़ा।
अटल जी की विरासत
- वे तीन बार प्रधानमंत्री बने, लेकिन राजनीति से ऊपर उठकर लोकनायक के रूप में पहचाने गए।
- भारतीय राजनीति को स्थिरता, आदर्श और विकास की नई दिशा दी।
- उन्हें “भारतीय राजनीति का अजातशत्रु” कहा गया क्योंकि उनके शत्रु भी उनका सम्मान करते थे।
- 2015 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया।
आज की राजनीति में अटल जी का महत्व
आज भी अटल जी की नीति और सिद्धांत भारतीय राजनीति के लिए प्रेरणा हैं।
उनका “इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत” का मंत्र कश्मीर नीति में मार्गदर्शन करता है।
उनकी कविता और भाषण नई पीढ़ी को राष्ट्रभक्ति और लोकतांत्रिक मूल्यों की शिक्षा देते हैं।
भाजपा और भारतीय राजनीति में उनका योगदान अमर है।
❓ अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी महत्वपूर्ण
1. अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था।
2. अटल बिहारी वाजपेयी कितनी बार भारत के प्रधानमंत्री बने?
वाजपेयी जी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने —
- पहली बार 1996 में सिर्फ 13 दिन
- दूसरी बार 1998 से 1999 तक 13 महीने
- तीसरी बार 1999 से 2004 तक पूरा कार्यकाल
3. अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न कब मिला?
अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न सम्मान वर्ष 2015 में प्रदान किया गया।
4. अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु कब हुई थी?
उनका निधन 16 अगस्त 2018 को AIIMS, नई दिल्ली में हुआ।
5. वाजपेयी जी का प्रसिद्ध उपनाम (Nickname) क्या था?
वाजपेयी जी को लोग प्यार से “अटल जी” कहते थे।
6. अटल बिहारी वाजपेयी किस पार्टी से जुड़े थे?
वाजपेयी जी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्थापक नेताओं में से एक थे।
7. अटल बिहारी वाजपेयी का साहित्य और कविता से क्या जुड़ाव था?
वाजपेयी जी एक उत्कृष्ट कवि, लेखक और वक्ता थे। उनकी कविताएँ जैसे – “मेरे पास आओ”, “हार नहीं मानूंगा”, और “तोड़ दो ये दीवारें” आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
8. अटल बिहारी वाजपेयी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानी जाती है?
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में शामिल हैं —
- पोखरण परमाणु परीक्षण (1998)
- लाहौर बस यात्रा (1999)
- भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत पहचान दिलाना
9. अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति स्थल का नाम क्या है?
उनकी स्मृति स्थल का नाम “सदैव अटल” (Sadaiv Atal) है, जो नई दिल्ली में स्थित है।
10. अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएँ कहाँ पढ़ी जा सकती हैं?
वाजपेयी जी की कविताएँ उनकी किताबों और कई ऑनलाइन पोर्टल्स पर उपलब्ध हैं। उनकी लोकप्रिय कविता संग्रह “मेरी इक्यावन कविताएँ” है।
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More details about Shri Atal Bihari Vajpayee’s life and work can also be found on the Official PM India Website where his complete profile is published.”
Political Reference Linking
“For readers who want to explore more about his political journey, the Bharatiya Janata Party Official Website provides historical records and archives.”