Modi China Visit 2025 इस साल की सबसे चर्चित वैश्विक घटनाओं में से एक रही है, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन शहर में आयोजित ऐतिहासिक SCO शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच महत्वपूर्ण और शक्तिशाली वार्तालाप हुए, जिनमें भारत-चीन संबंध, क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार सहयोग और वैश्विक साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। यह ऐतिहासिक मुलाक़ात न केवल कूटनीतिक रिश्तों को नई दिशा देती है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका को भी मजबूत बनाती है।

Modi China Visit 2025:- मोदी की ऐतिहासिक चीन यात्रा 2025
Modi China Visit 2025-: 1 सितंबर 2025 भारत-चीन संबंधों के इतिहास में एक नया अध्याय बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन शहर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO Summit 2025) में हिस्सा लिया। यह सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं थी बल्कि सात साल बाद भारत और चीन के बीच विश्वास बहाली का प्रतीक भी बनी।
इस यात्रा में मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की मुलाकात ने दुनिया को संकेत दिया कि अब दोनों देश अपने रिश्तों को प्रतिद्वंद्विता से आगे बढ़ाकर साझेदारी में बदलना चाहते हैं।
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SCO Summit 2025: भारत और चीन की भूमिका
SCO (Shanghai Cooperation Organisation) एशिया का एक बड़ा बहुपक्षीय मंच है, जिसमें चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान, मध्य एशियाई देश और अब कुछ नए सदस्य भी जुड़े हैं। इस साल तियानजिन में आयोजित समिट में वैश्विक सुरक्षा, आतंकवाद, व्यापार और ऊर्जा सहयोग पर चर्चा हुई।
शी जिनपिंग ने उद्घाटन भाषण में कहा:
- “SCO देशों को Cold War mentality और bullying behaviour का विरोध करना चाहिए।”
- चीन ने SCO सदस्य देशों को $281 मिलियन (2 अरब युआन) ग्रांट देने का ऐलान किया।
भारत के लिए यह समिट खास इसलिए रही क्योंकि मोदी ने इस मंच का इस्तेमाल दोस्तों को मजबूत करने और दुश्मनों को संदेश देने दोनों के लिए किया।
मोदी-शी मुलाकात: प्रतिद्वंद्वी से साझेदार तक
इस यात्रा का सबसे अहम क्षण था प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वन-ऑन-वन मीटिंग।
- दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि भारत-चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार हैं।
- लद्दाख बॉर्डर विवाद के बाद पहली बार दोनों ने एक पॉजिटिव टोन में बातचीत की।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमति बनी।
- व्यापार बढ़ाने, तकनीकी सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर चर्चा हुई।
पाकिस्तान और आतंकवाद का मुद्दा
भारत के लिए सबसे बड़ा मुद्दा हमेशा से रहा है सीमा पार आतंकवाद। मोदी ने SCO समिट के मंच से साफ संदेश दिया कि आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को अलग-थलग किया जाएगा।
- चीन ने पहली बार भारत के रुख का समर्थन किया।
- यह भारत की बड़ी डिप्लोमैटिक जीत मानी जा रही है।
- पाकिस्तान के प्रधानमंत्री समिट में मौजूद थे, लेकिन वे असहज नज़र आए।
मोदी-पुतिन मुलाकात: दोस्ती और ऊर्जा साझेदारी
SCO समिट में मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात भी सुर्खियों में रही।
- दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और गले मिले।
- चर्चा का मुख्य मुद्दा रहा ऊर्जा आपूर्ति, तेल और गैस डील्स।
- रूस ने भारत को भरोसा दिया कि यूक्रेन युद्ध के बावजूद वह भारत को सस्ते दाम पर तेल और गैस देता रहेगा।
- भारत ने रूस को डिफेंस और टेक्नोलॉजी सहयोग का भरोसा दिया।
अमेरिकी दबाव और भारत की रणनीति
Modi China Visit 2025:- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया, खासकर रूस से तेल खरीदने को लेकर।
👉 सवाल यह है कि क्या भारत अमेरिकी दबाव में रूस और चीन से दूरी बनाएगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अब मल्टी-अलाइन्मेंट पॉलिसी अपनाएगा यानी अमेरिका, रूस और चीन – तीनों के साथ अपने-अपने हित साधेगा।
SCO में तकनीकी नवाचार: रोबोट “Xiao He”
इस समिट की एक अनोखी झलक थी Xiao He नाम का humanoid robot, जिसे पत्रकारों और डेलीगेट्स की मदद के लिए लगाया गया।
- यह सवालों का जवाब देता, दिशा बताता और ट्रांसलेशन भी करता।
- यह इस बात का प्रतीक है कि SCO अब सिर्फ राजनीति का मंच नहीं बल्कि तकनीक और इनोवेशन का भी प्लेटफॉर्म बन चुका है।
Modi China Visit 2025: नेहरू से मोदी तक
मीडिया ने इस यात्रा को 1954 की जवाहरलाल नेहरू की चीन यात्रा से भी जोड़ा।
- नेहरू उस समय “Hindi-Chini Bhai-Bhai” का नारा लेकर गए थे।
- लेकिन 1962 का युद्ध उस रिश्ते को हमेशा के लिए बदल गया।
- अब मोदी की यात्रा को “Hindi-Chini Reset” कहा जा रहा है।
मोदी-मालदीव मुलाकात: पड़ोसी रिश्तों पर फोकस
मोदी ने SCO मंच का इस्तेमाल सिर्फ चीन और रूस के लिए ही नहीं, बल्कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ भी किया।
- मालदीव के राष्ट्रपति मुइजु से मुलाकात कर विकास सहयोग पर चर्चा की।
- “Neighbourhood First Policy” को फिर से मज़बूती देने की कोशिश हुई।
वैश्विक संदेश: नई विश्व व्यवस्था की ओर
इस समिट से एक बात साफ हुई कि एशिया के देश अब पश्चिमी देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहते।
- चीन “नए वैश्विक सुरक्षा मॉडल” की बात कर रहा है।
- भारत “विकास और शांति” की वकालत कर रहा है।
- रूस “ऊर्जा सहयोग” पर फोकस कर रहा है।
👉 यानी भारत, चीन और रूस मिलकर एक नए विश्व संतुलन (New World Order) की ओर बढ़ रहे हैं।
Modi China Visit 2025:- मोदी की चीन यात्रा का महत्व
Modi China Visit 2025– सिर्फ एक कूटनीतिक इवेंट नहीं बल्कि भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत है।
- इससे भारत को SCO में मजबूत भूमिका मिली।
- चीन के साथ रिश्तों में विश्वास बहाली हुई।
- रूस और भारत की ऊर्जा साझेदारी आगे बढ़ी।
- पाकिस्तान को डिप्लोमैटिक झटका लगा।
- अमेरिका को संदेश मिला कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति जारी रखेगा।
👉 कुल मिलाकर यह यात्रा भारत की डिप्लोमेसी, रणनीति और वैश्विक नेतृत्व क्षमता को एक नई ऊँचाई पर ले गई है।
FAQs
Q1. मोदी की चीन यात्रा 2025 क्यों महत्वपूर्ण है?
यह यात्रा 7 साल बाद भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत और बॉर्डर विवाद के बाद विश्वास बहाली का प्रतीक है।
Q2. SCO Summit 2025 कहाँ हुआ?
यह समिट चीन के तियानजिन शहर में हुआ।
Q3. मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात में क्या हुआ?
दोनों नेताओं ने भारत-चीन को “साझेदार” मानते हुए व्यापार, संस्कृति और कैलाश मानसरोवर यात्रा पर सहमति बनाई।
Q4. क्या पाकिस्तान पर चर्चा हुई?
हाँ, मोदी ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया और चीन ने भारत का समर्थन किया।
Q5. क्या इस यात्रा से भारत-रूस संबंध भी मजबूत हुए?
हाँ, पुतिन और मोदी की मुलाकात में ऊर्जा और रक्षा साझेदारी पर अहम समझौते हुए।