Operation Sindoor aur Noor Khan Airbase ka sambandh 2025 ke Bharat-Pakistan sangharsh me ek aisa modh tha jisme America ki chhupi hui role saamne aayi.

भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चला आ रहा संघर्ष समय-समय पर नई करवट लेता रहा है। लेकिन मई 2025 में हुआ ऑपरेशन सिंदूर एक ऐसा मोड़ साबित हुआ जिसने न सिर्फ पाकिस्तान को हिला दिया बल्कि अमेरिका की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
इस ऑपरेशन ने पहली बार भारत को वैश्विक स्तर पर एक प्रो-एक्टिव स्ट्राइक नेशन के रूप में सामने रखा। खास बात यह रही कि भारतीय स्ट्राइक्स के दौरान पाकिस्तान का नूर खान एयरबेस भी निशाने पर आया, जिसे लेकर यह चर्चा शुरू हो गई कि वहां अमेरिका की गुप्त गतिविधियाँ चल रही थीं।
आखिर क्यों अचानक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस संघर्ष में “मध्यस्थ” की भूमिका निभानी पड़ी? क्या सचमुच अमेरिका पाकिस्तान में किसी गुप्त सैन्य ठिकाने को छुपा रहा था? आइए, विस्तार से जानते हैं।
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2. ऑपरेशन सिंदूर: भारत का जवाबी वार
अप्रैल 2025 में हुए पहलगाम आतंकी हमले ने पूरे भारत को झकझोर दिया। इस हमले में कई सुरक्षाकर्मी और निर्दोष नागरिक मारे गए। भारत सरकार पर जवाबी कार्रवाई का दबाव बढ़ा।
ऑपरेशन की शुरुआत
- मई 2025 में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया।
- यह ऑपरेशन सीमित दायरे का नहीं था, बल्कि पाकिस्तान की गहराई तक जाकर उसके सैन्य ठिकानों को टारगेट किया गया।
- इसमें भारतीय वायुसेना, मिसाइल सिस्टम और आर्मी की को-ऑर्डिनेटेड स्ट्राइक्स शामिल थीं।
मुख्य लक्ष्य
- आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप्स
- पाकिस्तान आर्मी की लॉजिस्टिक सप्लाई चेन
- रावलपिंडी और उसके आसपास के ठिकाने
- और सबसे अहम: नूर खान एयरबेस
3.Operation Sindoor aur Noor Khan Airbase : सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ठिकाना
नूर खान एयरबेस, जिसे पहले चकलाला एयरबेस कहा जाता था, पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद और रावलपिंडी के बीच स्थित है।
भौगोलिक महत्व
- पाकिस्तान-ऑक्यूपाइड कश्मीर से नजदीकी
- अफगानिस्तान और चीन की सीमा के करीब
- पाकिस्तान एयरफोर्स का एक प्रमुख बेस
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी यह एयरबेस इस्तेमाल हुआ।
- यहां से कई बार पाकिस्तानी फाइटर जेट्स ने उड़ान भरी।
- समय के साथ यह सिर्फ पाकिस्तान का नहीं बल्कि विदेशी सहयोगियों का भी केंद्र बन गया।
अमेरिका का ठिकाना?
रिपोर्ट्स कहती हैं कि यहां अमेरिकी C-17 ग्लोबमास्टर विमान खड़े रहते हैं।
- थ्री-स्टार जनरल्स तक यहां आते रहे हैं।
- इसे अमेरिकी मिलिट्री लॉजिस्टिक हब माना जाता है।
- कुछ थ्योरीज तो यह भी कहती हैं कि यहां स्ट्रेटेजिक वेपंस या न्यूक्लियर एसेट्स स्टोर किए जाते हैं।
4. अमेरिका का छिपा हुआ खेल
ऑपरेशन सिंदूर से पहले अमेरिका और पाकिस्तान के बीच गतिविधियाँ तेज हो गई थीं।
राहत सामग्री या गुप्त मिशन?
- पाकिस्तान में बाढ़ राहत के नाम पर अमेरिका ने C-17 विमानों से सप्लाई भेजी।
- लेकिन सिर्फ कार्गो ही क्यों नहीं भेजा गया?
- क्यों अमेरिकी थ्री-स्टार जनरल्स खुद पाकिस्तान आए?
सोशल मीडिया पर सवाल
पाकिस्तानी और भारतीय सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई—
- क्या यह सचमुच राहत मिशन था?
- या फिर पाकिस्तान को मिलिट्री बैकअप देने का बहाना?

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5. भारत का स्ट्राइक और अमेरिकी घबराहट
भारत ने जब ऑपरेशन सिंदूर के तहत नूर खान एयरबेस पर हवाई हमला किया तो यह सिर्फ पाकिस्तान के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए भी झटका था।
हमले के परिणाम
- पाकिस्तान की एयर डिफेंस सिस्टम्स को नुकसान
- एयरबेस पर खड़े कुछ सैन्य विमानों की तबाही
- और सबसे अहम—अमेरिका की गुप्त गतिविधियों का पर्दाफाश
अमेरिकी घबराहट
- उसी रात अमेरिकी और पाकिस्तानी सेना के बीच आपात कॉल्स हुए।
- अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने तुरंत स्थिति का आकलन शुरू किया।
- अगले ही दिन डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर दावा किया कि उन्होंने “सीजफायर” करवाया।
6. ट्रंप की भूमिका: मध्यस्थ या छुपाने वाला?
ट्रंप ने शुरुआत में साफ कहा था—
“भारत-पाक का मामला है, इसमें अमेरिका नहीं आएगा।”
लेकिन जैसे ही भारत का हमला नूर खान एयरबेस तक पहुंचा, ट्रंप ने रुख बदल दिया।
अचानक एक्टिव ट्रंप
- उन्होंने दावा किया कि उनकी कोशिशों से संघर्ष रुका।
- खुद को “पीसमेकर” की छवि में पेश किया।
- लेकिन असल सवाल यह था—क्या ट्रंप वाकई शांति चाहते थे या अमेरिका का राज छुपाना?
7. पाकिस्तान-अमेरिका की गुप्त डील
कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच एक गुप्त समझौता है।
मुख्य बिंदु
- पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य मदद के बदले स्ट्रेटेजिक स्पेस देना।
- नूर खान एयरबेस को अमेरिकी ऑपरेशंस के लिए उपलब्ध कराना।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को “कवर” दिलाना।
भारत के हमले ने इस डील को एक्सपोज़ कर दिया।
8. भू-राजनीतिक असर
ऑपरेशन सिंदूर ने एशिया की राजनीति को हिला कर रख दिया।
भारत की छवि
- सिर्फ डिफेंसिव नहीं, बल्कि प्रो-एक्टिव स्ट्राइक नेशन के रूप में उभरा।
- वैश्विक स्तर पर भारत की सैन्य क्षमता को मान्यता मिली।
पाकिस्तान की कमजोरी
- राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की नाकामी उजागर हुई।
- जनता में असंतोष और सरकार पर दबाव बढ़ा।
अमेरिका पर असर
- अमेरिका की “न्यूट्रल” छवि को झटका।
- एशिया में उसके छुपे हुए हितों का पर्दाफाश।
चीन और रूस की प्रतिक्रियाएँ
- चीन ने पाकिस्तान का बचाव किया, लेकिन सीधे अमेरिका पर चुप्पी साध ली।
- रूस ने भारत की कार्रवाई को “रक्षात्मक अधिकार” बताया।
9. न्यूक्लियर फैक्टर और नूर खान एयरबेस की असली अहमियत
दुनिया जानती है कि अमेरिका के पास 5500 से ज्यादा न्यूक्लियर वेपंस हैं। इन्हें एक जगह रखना संभव नहीं।
थ्योरी
- अमेरिका इन्हें दुनिया भर में गुप्त ठिकानों पर स्टोर करता है।
- नूर खान एयरबेस भी उनमें से एक हो सकता है।
- भारत के हमले से यह रहस्य वैश्विक स्तर पर उजागर हो गया।
10. भविष्य का परिदृश्य
ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई सवाल खड़े हुए—
भारत की डिफेंस पॉलिसी
- अब भारत सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देगा बल्कि प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक भी करेगा।
अमेरिका-भारत संबंध
- भरोसे में दरार पड़ सकती है।
- लेकिन सामरिक कारणों से दोनों देश सहयोग जारी रखेंगे।
पाकिस्तान की स्थिति
- आर्थिक संकट गहराएगा।
- कूटनीतिक अलगाव और बढ़ेगा।
एशिया का शक्ति संतुलन
- भारत की स्थिति मजबूत होगी।
- पाकिस्तान और अमेरिका दोनों दबाव में रहेंगे।
11. (Conclusion)
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ पाकिस्तान पर हमला नहीं था, बल्कि उसने वैश्विक राजनीति की गहराई को भी छू लिया।
भारत की स्ट्राइक ने यह साफ कर दिया कि वह अब केवल “रक्षा करने वाला देश” नहीं बल्कि “कार्रवाई करने वाला राष्ट्र” है।
नूर खान एयरबेस का रहस्य आने वाले समय में एशिया की राजनीति और सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित करेगा।
👉 सबसे बड़ा निष्कर्ष यही है कि भारत ने अपने दुश्मनों के साथ-साथ अपने सहयोगियों को भी चेतावनी दे दी है— अगर हमारी सुरक्षा पर खतरा आया तो हम किसी को भी बख्शेंगे नहीं।