डोनाल्ड ट्रंप बोले – “नोबेल विजेता मारिया माचाडो ने मुझे फोन कर कहा, यह पुरस्कार आपके नाम है” | Trump Nobel Peace Prize 2025 Controversy


Trump Nobel Peace Prize 2025 - Donald Trump and Maria Machado

Trump Nobel Peace Prize 2025

Trump Nobel Peace Prize 2025 को लेकर दुनिया भर में चर्चा तेज़ है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को दावा किया कि नोबेल शांति पुरस्कार 2025 की विजेता वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाडो ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से फोन कर कहा कि उन्होंने यह सम्मान “ट्रंप के नाम” स्वीकार किया है।

ट्रंप ने हल्के फुल्के अंदाज़ में कहा —

“उन्होंने मुझे फोन किया और कहा, ‘मैं यह पुरस्कार आपके सम्मान में ले रही हूं।’ यह बहुत अच्छा कदम है। मैंने उनसे यह नहीं कहा कि ‘मुझे दे दो,’ लेकिन शायद वह देतीं भी।”

उनके इस बयान ने सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में हलचल मचा दी है। यह बयान उस समय आया जब व्हाइट हाउस ने नोबेल कमेटी की आलोचना करते हुए कहा कि उसने “शांति के बजाय राजनीति को प्राथमिकता दी है।”


🏛️ व्हाइट हाउस का बयान: राजनीति बनाम शांति

नोबेल कमेटी द्वारा मारिया माचाडो को सम्मानित किए जाने के तुरंत बाद व्हाइट हाउस प्रवक्ता स्टीवन च्यांग (Steven Cheung) ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व Twitter) पर एक कड़ा बयान जारी किया।

उन्होंने लिखा —

“राष्ट्रपति ट्रंप शांति समझौते करते रहेंगे, युद्ध समाप्त करेंगे और जीवन बचाएंगे। उनके जैसा मानवतावादी कोई नहीं है। नोबेल कमेटी ने साबित कर दिया कि वे शांति की जगह राजनीति को प्राथमिकता देते हैं।”

व्हाइट हाउस के अनुसार, ट्रंप ने अपने कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं — जैसे मध्य पूर्व में संघर्षविराम, गाजा में युद्धविराम समझौता, और कई देशों के बीच शांति वार्ता


🎙️ Oval Office से ट्रंप का बयान

शुक्रवार शाम ट्रंप ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा —

“जिसे नोबेल पुरस्कार मिला है, उसने आज मुझे फोन किया और कहा, ‘मैं यह पुरस्कार आपके सम्मान में स्वीकार कर रही हूं क्योंकि असली हकदार आप हैं।’ यह बहुत अच्छा कदम है। मैंने उनसे नहीं कहा कि ‘मुझे दे दो,’ लेकिन शायद वह देतीं भी।”

ट्रंप ने आगे कहा कि वह खुद को इस पुरस्कार के योग्य मानते हैं क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में “कई युद्ध खत्म कराए, लाखों लोगों की जान बचाई और असंभव को संभव किया।”


🌍 मारिया माचाडो को मिला नोबेल शांति पुरस्कार 2025

नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने 2025 का शांति पुरस्कार मारिया कोरीना माचाडो को दिया है।
कमेटी के अनुसार,

“मारिया माचाडो एक साहसी स्वतंत्रता सेनानी हैं, जो वेनेजुएला में लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने अधिनायकवादी शासन का डटकर विरोध किया है।”

माचाडो ने पुरस्कार स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने यह सम्मान अपने देश और उन सभी के नाम किया है जो स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं।
उन्होंने एक बयान में ट्रंप का उल्लेख करते हुए कहा —

“हम राष्ट्रपति ट्रंप पर भरोसा करते हैं। उन्होंने विश्व शांति के लिए जो प्रयास किए हैं, वे प्रशंसनीय हैं।”


💬 ट्रंप के पिछले दावे और विवाद

यह पहली बार नहीं है जब Trump Nobel Peace Prize को लेकर विवाद हुआ हो।
ट्रंप कई बार खुद को इस पुरस्कार के योग्य बता चुके हैं।
उन्होंने पहले भी कहा था कि उनके प्रयासों को “राजनीतिक पक्षपात” के कारण नज़रअंदाज़ किया गया।

2024 में राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था —

“क्या मुझे नोबेल पुरस्कार मिलेगा? बिल्कुल नहीं। वे उसे किसी ऐसे व्यक्ति को दे देंगे जिसने कुछ नहीं किया।”

ट्रंप ने 2009 में बराक ओबामा को दिए गए नोबेल पुरस्कार की आलोचना भी की थी। उन्होंने कहा था कि “ओबामा को तो कुछ किए बिना ही यह सम्मान मिल गया।”


🕊️ ट्रंप के ‘शांति प्रयास’ जिनका उन्होंने ज़िक्र किया

  1. गाजा युद्धविराम समझौता: ट्रंप का दावा है कि उन्होंने गाजा संघर्ष में मध्यस्थता कर युद्धविराम करवाया।
  2. मध्य पूर्व में अब्राहम समझौते: इज़राइल और कई अरब देशों के बीच शांति समझौते कराने का श्रेय ट्रंप प्रशासन को जाता है।
  3. कोरिया शांति वार्ता: उन्होंने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन से मुलाकात की और तनाव कम करने की कोशिश की।
  4. अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी: ट्रंप ने कहा कि उन्होंने “20 साल पुराने युद्ध को खत्म करने” का काम किया।
  5. यूरोप में नाटो सहयोग सुधार: उन्होंने कहा कि उनकी कूटनीति ने “युद्ध नहीं, संवाद” को बढ़ावा दिया।

इन सब उपलब्धियों का ज़िक्र ट्रंप बार-बार करते रहे हैं और यही कारण है कि उन्होंने खुद को “शांति का असली वास्तुकार” कहा।


📆 नोबेल पुरस्कार नामांकन प्रक्रिया

नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन हर वर्ष 31 जनवरी तक किए जाते हैं।
इस वर्ष ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया, यानी कि नामांकन की अंतिम तिथि तब तक बीत चुकी थी।
फिर भी, उनके समर्थकों ने जनवरी से पहले उनकी उपलब्धियों का हवाला देते हुए कई नामांकन भेजे थे।

नोबेल कमेटी का निर्णय इस वर्ष विशेष रूप से 2024 की घटनाओं को देखते हुए किया गया।
ट्रंप ने कहा कि भले ही यह निर्णय 2024 पर आधारित हो, “हमने इतनी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कीं कि उन्हें हमें ही पुरस्कार देना चाहिए था।”


🔍 राजनीतिक प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषण

कई अमेरिकी विश्लेषकों ने कहा कि व्हाइट हाउस का यह बयान असामान्य है क्योंकि आमतौर पर अमेरिकी प्रशासन नोबेल कमेटी के निर्णयों पर टिप्पणी नहीं करता।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप यह विवाद अपने समर्थक आधार को मज़बूत करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

CNN और Reuters जैसी एजेंसियों ने इसे “ट्रंप का राजनीतिक नरेटिव बनाने का प्रयास” बताया।
वहीं, कुछ ट्रंप समर्थकों ने सोशल मीडिया पर #TrumpDeservesNobel ट्रेंड कराया।


📢 सोशल मीडिया प्रतिक्रिया

घोषणा के बाद से ही ट्रंप समर्थक सोशल मीडिया पर नोबेल कमेटी की आलोचना कर रहे हैं।
कई उपयोगकर्ताओं ने लिखा कि ट्रंप के बिना “अब्राहम समझौते” या “गाजा युद्धविराम” संभव नहीं होते।
दूसरी ओर, कुछ लोगों ने माचाडो की सराहना की और कहा कि “वह लोकतंत्र की असली योद्धा हैं।”

X (Twitter) पर एक यूजर ने लिखा —

“ट्रंप को नोबेल मिलना चाहिए था, लेकिन माचाडो ने सही काम किया कि उन्होंने उन्हें सम्मान दिया।”

जबकि एक अन्य यूजर ने व्यंग्य में कहा —

“ट्रंप हर चीज़ का क्रेडिट ले लेंगे, चाहे वह किसी और का पुरस्कार ही क्यों न हो!”


🧩 ट्रंप का हास्य और आत्मविश्वास

ट्रंप अपने राजनीतिक करियर में अपने हास्यपूर्ण लेकिन आत्मविश्वासी बयानों के लिए जाने जाते हैं।
उन्होंने इस बार भी कहा —

“मैंने उनसे नहीं कहा कि ‘मुझे पुरस्कार दे दो’, लेकिन शायद वह देतीं भी।”

यह बयान उनके समर्थकों के बीच एक “विनम्र व्यंग्य” की तरह वायरल हो गया।
उनके कई फॉलोअर्स ने इसे “ट्रंप का क्लासिक ह्यूमर” बताया।


🌐 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

यूरोपीय मीडिया ने इस घटना को मिश्रित रूप से देखा।
कुछ अखबारों ने इसे “राजनीतिक मनोरंजन” बताया, तो कुछ ने कहा कि ट्रंप वास्तव में “शांति प्रयासों में प्रभावशाली रहे हैं।”
ब्रिटेन के ‘द गार्जियन’ ने लिखा —

“ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में लौट आए हैं, और उन्होंने एक साधारण कॉल को वैश्विक बहस में बदल दिया।”


🧭 भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह विवाद ट्रंप के 2026 चुनावी अभियान को और सक्रिय करेगा।
उनकी टीम पहले से ही “ट्रंप – द पीसमेकर” (Trump the Peacemaker) स्लोगन पर काम कर रही है।
संभव है कि आने वाले महीनों में वह इसे अपने प्रचार का हिस्सा बनाएं।


FAQ Section

Q1. नोबेल शांति पुरस्कार 2025 किसे मिला?
👉 वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरीना माचाडो को मिला।

Q2. ट्रंप ने इस पुरस्कार पर क्या कहा?
👉 ट्रंप ने कहा कि माचाडो ने उन्हें फोन कर कहा, “मैं यह पुरस्कार आपके सम्मान में स्वीकार कर रही हूं।”

Q3. व्हाइट हाउस ने नोबेल कमेटी पर क्या आरोप लगाया?
👉 व्हाइट हाउस ने कहा कि नोबेल कमेटी ने “राजनीति को शांति से ऊपर रखा।”

Q4. क्या ट्रंप पहले भी नोबेल के लिए नामांकित हुए थे?
👉 हाँ, ट्रंप कई बार शांति प्रयासों के लिए नामांकित हो चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक पुरस्कार नहीं मिला।

Q5. क्या मारिया माचाडो ने वास्तव में ट्रंप को कॉल किया था?
👉 ट्रंप का दावा है कि उन्होंने किया, हालांकि इस पर स्वतंत्र पुष्टि नहीं मिली है।


📍 निष्कर्ष

Trump Nobel Peace Prize 2025 विवाद ने एक बार फिर यह दिखाया कि राजनीति और अंतरराष्ट्रीय सम्मान कितनी गहराई से जुड़े हुए हैं।
जहाँ मारिया माचाडो को उनके साहस और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सम्मानित किया गया, वहीं डोनाल्ड ट्रंप ने इस अवसर को अपनी “शांति निर्माता” छवि को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल किया।

चाहे ट्रंप को नोबेल मिला हो या नहीं, लेकिन इस पूरे विवाद ने उन्हें फिर से विश्व सुर्खियों के केंद्र में ला दिया है — और शायद यही उनका असली मकसद था।

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